Going Inside out
My random walk. Here and there.
July 4, 2016
मैराथन
जज़्बा बुलंद है मंजिल पार निकलने का
एक कहानी डोली में बैठ चली है
राहें हैं अंजान, बस रू
हों
का संग है
रुक जाना नहीं, थम जाना नहीं
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