वो मुझसे दूर क्या गयी
उसकी तासीर ही बदल गयी
पहले बातों से दिल लुभाती थी
अब यादों से सुइयाँ चुभाती है
मुलाकात से पहले ही
जुदाई उसकी तक़दीर में थी
तब खुशकिस्मत था कि अंजान नहीं
अब बदकिस्मत हूँ कि पहचान है
जब संग थी तो मुस्कान थी वो होठों पर
अब संग नहीं, तो कलम की शायरी बन गयी
वो मुझसे दूर क्या गयी
भावनाएँ उथल-पुथल कर गयी
यहाँ थी तो चेतना का संचार था
वहां है, तो बस वेदना ही वेदना है
उसकी तासीर ही बदल गयी
पहले बातों से दिल लुभाती थी
अब यादों से सुइयाँ चुभाती है
मुलाकात से पहले ही
जुदाई उसकी तक़दीर में थी
तब खुशकिस्मत था कि अंजान नहीं
अब बदकिस्मत हूँ कि पहचान है
जब संग थी तो मुस्कान थी वो होठों पर
अब संग नहीं, तो कलम की शायरी बन गयी
वो मुझसे दूर क्या गयी
भावनाएँ उथल-पुथल कर गयी
यहाँ थी तो चेतना का संचार था
वहां है, तो बस वेदना ही वेदना है
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