January 14, 2019

आंसुओं के बीच

घड़ा बड़ा है सीने में
तेरी याद से भरता जाता है

बाहर कभी दिखता नहीं
बस आखों से छलकता है
 

साथ भी रखना चाहूँ मैं
पर भार घड़े का ज्यादा है

अँधेरे में, अकेले में
ये मुझे डुबाये जाता है


आजा माँ तू वापस आजा
एक आखिरी बोल सुना दे
इस मर्ज की दवा बता दे

आकर मुझको गले लगा ले
इस घड़े का वजन उठा ले

नहीं उठाया जाता अब
दर्द देता है ये घड़ा

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